रियल एस्टेट सहित पूरी अर्थव्यवस्था में दिख रही सुस्ती के बीच अफोर्डेबल हाउसिंग (कम कीमत वाले मकान) और कमर्शियल ऑफिस रियल एस्टेट में इस साल अन्य रियल्टी सेगमेंट के मुकाबले निवेशक अधिक भरोसा दिखा रहे हैं। यह बात एनारॉक प्रोपर्टी कंसल्टेंट्स के एक अध्ययन में गुरुवार को कही गई है। अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरे वर्ष सरकार की ओर से दिए गए राहत के बल पर अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट में अच्छी गतिविधि देखी गई। पहली बार किफायती मकानों (45 लाख रुपए तक) के होम लोन के ब्याज पर सरकार ने टैक्स डिडक्शन को बढ़ाकर 3.5 लाख रुपए कर दिया है। यह सुविधा हालांकि चालू कारोबारी साल के लिए ही है।
लक्जरी और अल्ट्रा लक्जरी सेमेंट में अधिक निवेश नहीं
रिपोर्ट में कहा गया कि इस साल लक्जरी और अल्ट्रा लक्जरी सेमेंट में अधिक निवेश नहीं मिला। हाउसिंग सेक्टर को सरकार घोषित 25,000 करोड़ रुपए के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड का ही सहारा है। सरकार ने यह फंड अफोर्डेबल और मिड-सेगमेंट में फंसी हुई हाउसिंग परियोजनाओं को फिर से चालू करने के लिए बनाया है।
सात बड़े शहरों में मकानों की कीमत जस की तस
सात बड़े शहरों में मकानों की औसत कीमत में कोई बढ़ोतरी इस साल नहीं हुई है। मुंबई, पुणे, बेंगलुरु और हैदराबाद में मकानों की औसत कीमत मात्र एक फीसदी बढ़ी है। एनसीआर और चेन्नई में मकानों की कीमत में जस की तस है और कोलकाता में एक फीसदी की गिरावट आई है।
को-वर्किंग, लॉजिस्टक्स, को-लिविंग और स्टूडेंट हाउसिंग जैसे सेगमेंट में भी हुआ निवेश
इस साल कमर्शियल ऑफिस रियल एस्टेट टॉप रैंकिंग रियल एस्टेट असेट रहा। को-वर्किंग, लॉजिस्टक्स और गोदाम, को-लिविंग और स्टूडेंट हाउसिंग जैसे सेगमेंट में भी 2019 में निवेश देखने को मिला। इन क्षेत्रों में कुल 1,484 करोड़ रुपए का निवेश हुआ।